Tuesday, December 16, 2025

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इतिहास भूलने वाला देश अपना अस्तित्व खो देता है : राज्यपाल जनरल वी. के. सिंह

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16 दिसंबर 2025, 09:04 am IST
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1971 के भारत–पाकिस्तान युद्ध में ऐतिहासिक विजय की स्मृति में कोलकाता स्थित पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग में विजय दिवस का भव्य आयोजन किया गया,जिसमें मिजोरम के राज्यपाल जनरल वी.के. सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे।

विजय दिवस के अवसर पर मीडिया से बातचीत में जनरल वी.के. सिंह ने भारत–बांग्लादेश संबंधों और साझा इतिहास पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जो देश अपना इतिहास भूल जाता है, उसका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं टिक पाता।

1971 के युद्ध को साहस, बलिदान और निर्णायक नेतृत्व का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह दिन सम्मान और गर्व के साथ याद किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की इच्छा है कि बांग्लादेश में सुख-शांति बनी रहे और उसका आर्थिक विकास और अधिक सशक्त हो।

भारत–बांग्लादेश संबंधों पर जनरल सिंह ने कहा कि दोनों देश हमेशा से एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं और यह मित्रता भविष्य में भी बनी रहेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि विजय दिवस दोनों देशों के वीर सपूतों के सम्मान का दिन है, न कि किसी राजनीतिक विवाद का मंच।

पूर्वोत्तर भारत के संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वर्तमान कार्यकाल में पूर्वोत्तर क्षेत्र तेज़ी से विकास कर रहा है और पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित भी हुआ है। खेल, बुनियादी ढांचा और सामाजिक विकास सहित हर क्षेत्र में पूर्वोत्तर ने नई दिशा पकड़ी है।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्पष्ट निर्देश है कि ‘अष्ट लक्ष्मी’ कहे जाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों में विकास की रफ्तार निरंतर बनी रहनी चाहिए। जनरल सिंह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर में जितना कार्य हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ।

भारतीय सैन्य बलों की क्षमता पर बोलते हुए जनरल वी.के. सिंह ने कहा कि सेना के शीर्ष पदों पर कार्य करने के अपने अनुभव के आधार पर वह कह सकते हैं कि आज देश की सैन्य शक्ति पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत हुई है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत सकारात्मक संकेत बताया।

बांग्लादेश के वर्तमान राजनीतिक हालात पर टिप्पणी से इनकार करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि विजय दिवस का मूल उद्देश्य 1971 के युद्ध में बलिदान देने वाले वीरों को नमन करना है और इसे उसी भावना के साथ मनाया जाना चाहिए।

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