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खेल समाचारकेआईयूजी 2025 : साक्षी पाडेकर ने आर्थिक तंगी को पीछे छोड़ते हुए 10 मीटर एयर राइफल में जीता स्वर्ण

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केआईयूजी 2025 : साक्षी पाडेकर ने आर्थिक तंगी को पीछे छोड़ते हुए 10 मीटर एयर राइफल में जीता स्वर्ण

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Peptech Editor
28 नवंबर 2025, 08:12 am IST
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जयपुर। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी) राजस्थान 2025 में महाराष्ट्र की उभरती निशानेबाज साक्षी पाडेकर ने अपनी जिंदगी के संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम कर नया इतिहास रच दिया। सुरक्षा गार्ड की बेटी साक्षी के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि वह अब तक मुख्य रूप से 50 मीटर राइफल स्पर्धा में हिस्सा लेती आई थीं।

आर्थिक तंगी में शुरू हुआ सफर

एनसीसी कैडेट रहते हुए शूटिंग से आकर्षित हुई साक्षी के लिए पहले ही कदम कठिन थे। राइफल किराए पर लेना और बेसिक गोला-बारूद तक खरीदना बड़ा चुनौतीपूर्ण था। परिवार ने बेटी के सपनों के लिए मां के जेवर तक गिरवी रख दिए ताकि ट्रेनिंग शुरू हो सके।

गगन नारंग फाउंडेशन ने दी नई राह

लगातार संघर्षों के बीच पुणे स्थित गगन नारंग स्पोर्ट्स फाउंडेशन ने साक्षी को अपनी स्कॉलरशिप के तहत नई दिशा दी। इसके बाद साक्षी ने 2024 महाराष्ट्र स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में जूनियर और सीनियर दोनों वर्गों में 50 मीटर राइफल 3-पोजिशन में स्वर्ण जीता और राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक भी हासिल किया। साथ ही, वह 2024 जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप, पेरू में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं।

भावनाओं से भरा स्वर्णिम पल

स्वर्ण जीतने के बाद साक्षी ने कहा, "मैं जानती थी कि शांत रहना जरूरी है। बस लक्ष्य पर ध्यान रखा, मेहनत की और आज उसका फल मिला।"

साक्षी ने यह भी बताया कि राइफल किराए पर लेने में लगभग 40,000 रुपये प्रति माह खर्च होते थे, जिसे उनके माता-पिता ने आठ महीने तक किसी तरह पूरा किया, जब तक कि फाउंडेशन ने उन्हें सहारा नहीं दिया।

चोट से उबरकर दिखाया दम

साल की शुरुआत में कलाई की चोट से जूझने के बावजूद साक्षी ने हार नहीं मानी। पिछले साल गुवाहाटी में टीम ब्रॉन्ज जीतने के बाद उन्हें भरोसा हुआ कि वह शीर्ष स्तर पर प्रदर्शन कर सकती हैं।

साक्षी ने कहा, "यह स्वर्ण मेरी शुरुआत है। मैं आगे भी 10 मीटर और 50 मीटर दोनों इवेंट में अच्छा प्रदर्शन करना चाहती हूं।"

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से खेलते हुए साक्षी ने न केवल व्यक्तिगत स्वर्ण जीता, बल्कि टीम को भी पोडियम के शीर्ष पर पहुंचाया।

साक्षी पाडेकर की यह जीत उनके जुनून, परिवार के त्याग और कठिन परिस्थितियों पर विजय की प्रेरणादायक मिसाल है।

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