Thursday, December 25, 2025

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सोशल मीडिया को लेकर सेना की नीति में बदलाव, सिर्फ देखने की अनुमति, जवाब देने की नहीं

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Peptech Time
25 दिसंबर 2025, 11:53 am IST
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भारतीय सेना ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर अपनी नीति में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब जवान और अधिकारी इंस्टाग्राम का उपयोग केवल देखने और निगरानी के मकसद से कर सकते है। वे किसी भी प्रकार की पोस्ट नहीं कर सकते और न ही किसी पोस्ट को लाइक या उस पर टिप्पणी कर सकते है। सूत्रों के मुताबिक, डिजिटल गतिविधियों को लेकर सेना के लिए पहले से लागू सभी अन्य नियम यथावत रहने वाले है।


सूत्रों ने बताया कि ये निर्देश सेना की सभी यूनिटों और विभागों को दिए गए हैं। इसका उद्देश्य सैनिकों को सोशल मीडिया पर मौजूद सामग्री को देखने, उससे अवगत रहने और सूचनाएं जुटाने की सीमित अनुमति देना है, ताकि वे फर्जी या भ्रामक कंटेंट को पहचान सकें। नई व्यवस्था के तहत, सैनिक यदि सोशल मीडिया पर किसी फर्जी, भ्रामक या संदिग्ध पोस्ट को देखते हैं, तब इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारी को दे सकते हैं। इससे सूचना युद्ध और दुष्प्रचार के खिलाफ सेना की आंतरिक सतर्कता को मजबूत करने में मदद मिलेगी। सेना समय-समय पर फेसबुक, एक्स और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल को लेकर दिशा-निर्देश देती रही है। सुरक्षा कारणों से पहले इन पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे।


दरअसल विदेशी एजेंसियों द्वारा बिछाए गए ‘हनी ट्रैप’ में फंसकर कुछ सैनिकों से अनजाने में संवेदनशील जानकारियां लीक हुई थीं। यह देखकर सोशल मीडिया पर नियंत्रण जरुरी हो गया था।


हाल ही में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना कर्मियों के सोशल मीडिया उपयोग को लेकर अपने विचार साझा किए थे। कार्यक्रम के दौरान सेना प्रमुख से पूछा गया कि जेनरेशन-जी के युवा सेना में आना चाहते हैं, लेकिन सेना और सोशल मीडिया के बीच विरोधाभास दिखाता है। इस पर जनरल द्विवेदी ने कहा, “यह वास्तव में एक चुनौती है। जब युवा कैडेट एनडीए में आते हैं, तब सबसे पहले अपने कमरों में छिपे फोन ढूंढते हैं। उन्हें यह समझाने में तीन से छह महीने लगते हैं कि फोन के बिना भी जीवन है।” हालांकि, उन्होंने दो टूक कहा कि आज के दौर में स्मार्टफोन एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है।


उन्होंने कहा, मैं सैनिकों को स्मार्टफोन को लेकर मना नहीं करता, हम अक्सर फील्ड में रहते हैं। बच्चे की स्कूल फीस भरनी हो, माता-पिता की तबीयत जाननी हो या पत्नी से बात करनी हो, ये सब फोन के द्वारा ही संभव है।” लेकिन सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने पर सेना प्रमुख ने कहा कि ‘रिएक्ट करना’ और ‘रिस्पॉन्ड करना’ दो अलग बातें हैं। उन्होंने बताया, “रिएक्ट करना मतलब तुरंत जवाब देना, जबकि रिस्पॉन्ड करना मतलब सोच-समझकर जवाब देना। हम नहीं चाहते कि हमारे सैनिक जल्दबाजी में किसी बहस में उलझें। इसलिए उन्हें एक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर सिर्फ देखने की अनुमति दी गई है, जवाब देने की नहीं।

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