मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षक अब कुत्ते भगाएंगे, नहीं तो सस्पेंड...!

File Photo (Ai Generated)
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भोपाल। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में कुछ भी होता रहता है। आवारा कुत्तों को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का पालन करने से बचने के लिए, एक ऐसी व्यवस्था बना दी है जो अपने आप में चर्चा का विषय बन गई। सरकारी स्कूल के शिक्षकों को अब स्कूल परिसर से आवारा कुत्तों को भी भगाना होगा। यदि कोई आवारा कुत्ता किसी बच्चे को काट लेता है तो शिक्षक को सस्पेंड कर दिया जाएगा। ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि यदि कुत्ते को भगाने के दौरान किसी शिक्षक ने लाठी या पत्थर का इस्तेमाल किया और कुत्ते को चोट लगने के उपरांत उसके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई कुत्ता प्रेमी संघ थाने चला गया तो फिर शिक्षकों के साथ क्या होगा?
यह स्थिति तो प्रदेश भर के 36 हजार से अधिक उन स्कूलों के शिक्षकों की है जिनमें बाउंड्री वाल नहीं है। अब उनमें आवारा कुत्तों को घुसने से कैसे रोका जाएगा यह बड़ा सवाल है। इसके लिए भी शिक्षकों को ही आवारा कुत्तों को भगाने का काम स्वयं करना होगा। यह मामला इसलिए पेचीदा हो रहा है क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा है कि स्कूलों और अस्पताल परिसरों में अवारा कुत्ते नहीं घुसने चाहिए। इसको लेकर प्रदेश के शिक्षा विभाग में निजी और सरकार स्कूलों को 8 हफ्तों के अंदर बाउंड्रीवॉल या फैंसिंग कराने के निर्देश तो जारी कर दिए हैं लेकिन बजट जारी नहीं किया है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों के सामने यह बड़ा संकट है और उससे निपटने के लिए उनके पास केवल एक ही चारा है कि वे डंडा लेकर आवारा कुत्तों को ताकते रहें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और विभाग को इस संबंध में 8 सप्ताह का समय दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग को 8 सप्ताह बाद इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करनी है और यह बताना है कि उनके द्वारा स्कूलों में आवारा कुत्तों को रोकने की दिशा में पुख्ता इंतजाम कर दिए गए हैं लेकिन यह इंतजाम कैसे होंगे यह न तो विभाग की समझ में आ रहा है और न ही शिक्षकों की। अब देखना यह है कि इस दिशा में किए गए प्रयास किस हद तक सार्थक होते हैं।
