नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि बीजेपी भारत के संस्थागत ढांचे पर कंट्रोल कर रही है, जिसे उन्होंने देश के लोकतांत्रिक सिस्टम पर हमला बताया है। जर्मनी के बर्लिन में हर्टी स्कूल में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों को राजनीतिक हथियार बना लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें एक लेन-देन हुआ है, जिसमें बिजनेस कम्युनिटी के कुछ लोग विपक्षी पार्टियों का समर्थन करने के बजाय बीजेपी को आर्थिक मदद दे रहे हैं।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका, मीडिया और चुनाव आयोग जैसे संस्थानों की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है। यह बयान उन्होंने जर्मनी के दौरे के दौरान एक संवाद कार्यक्रम में दिया। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति को लेकर वैश्विक मंच पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संस्थानों पर सिस्टमैटिक तरीके से कब्जा किया जा रहा है और कहा कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का चुनिंदा तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है उनके मुताबिक बीजेपी के खिलाफ असल में कोई केस नहीं हैं, जबकि ज्यादातर राजनीतिक केस सत्ताधारी पार्टी का विरोध करने वालों को टारगेट करते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का समर्थन करने वाले बिजनेसमैन को डराया-धमकाया जा रहा है और तर्क दिया कि बीजेपी राजनीतिक ताकत को मज़बूत करने के लिए सरकारी संस्थानों का इस्तेमाल कर रही हैं, जो सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के संसाधनों के बीच बड़े अंतर को दिखाता है।
राहुल ने कहा कि कांग्रेस संस्थानों पर कब्जे का मुकाबला करने के लिए एक विरोध का ढांचा बनाकर जवाब देगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पर सीधा हमला हो रहा है, विपक्ष इससे मुकाबला करने के तरीके ढूंढेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह लड़ाई सिर्फ एक पार्टी के तौर पर बीजेपी के खिलाफ नहीं है, बल्कि उनके मुताबिक भारत के संस्थागत सिस्टम पर उसके कंट्रोल के खिलाफ है। इंडिया ब्लॉक पर राहुल गांधी ने माना कि गठबंधन के साथी कुछ राज्य और स्थानीय चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिसे उन्होंने रणनीतिक मुकाबला कहा। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा का विरोध करने में एकजुट है।
उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां रणनीतिक तौर पर अलग हो सकती हैं, लेकिन हम आरएसएस के वर्ल्डव्यू का विरोध करने के मुख्य सवाल पर एक साथ हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन उन कानूनों पर संसद में एकजुट है जिनका वह विरोध करता है और तर्क दिया कि यह संघर्ष चुनावों से परे भारत के एक वैकल्पिक विज़न तक जाता है। उन्होंने बीजेपी पर संविधान और राज्यों, भाषाओं और धर्मों के बीच समानता के सिद्धांत को कमजोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि कई भारतीय केंद्र और आरएसएस के विज़न को खारिज करते हैं और देश को स्वाभाविक रूप से जटिल और विविध मानते हैं। लाखों लोग मानते हैं कि भारत को किसी एक व्यक्ति की मर्ज़ी से नहीं चलाया जा सकता और इसके बजाय एक ऐसे मॉडल की वकालत की जहां देश अपने राज्यों के बीच बातचीत के ज़रिए काम करे। उन्होंने इसकी तुलना उससे की जिसे उन्होंने कुछ लोगों की एक मज़बूत नेता को पसंद करने की बात कही, जो बहस को किनारे कर देता है।
उन्होंने आगे कहा कि जहां कई लोग पीएम मोदी का समर्थन करते हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग भारत के लिए उनकी विचारधारा और विज़न से असहमत हैं। राहुल गांधी ने कहा कि उनका मानना है कि वह विज़न फेल हो जाएगा और इससे गहरे सामाजिक तनाव पैदा हो सकते हैं और उन्होंने मौजूदा राजनीतिक माहौल को देश के दो विरोधी विचारों के बीच टकराव बताया। बता दें राहुल गांधी जर्मनी की पांच दिन की यात्रा पर हैं। इससे पहले भी कांग्रेस सांसद ने आरएसएस पर अहम संस्थानों पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया था।

