पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर किया सीधा प्रहार

Shekh Hasina
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नई दिल्ली। बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से जारी हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बाद सड़कों पर शांति भले ही लौटती दिख रही हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में कड़वाहट और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की वर्तमान अंतरिम सरकार और उसके मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सीधा प्रहार किया है। भारत में प्रवास के दौरान दिए गए अपने एक विस्तृत साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बांग्लादेश में व्याप्त अराजकता और अस्थिरता के लिए पूरी तरह से मोहम्मद यूनुस जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार को गिराने के लिए जिस कानूनहीनता का सहारा लिया गया था, वह अब यूनुस प्रशासन के तहत कई गुना बढ़ चुकी है।
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए शेख हसीना ने कहा कि रिश्तों में आई यह खटास वर्तमान अंतरिम सरकार की नीतियों का परिणाम है। उनके अनुसार, यूनुस प्रशासन लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा है और देश के भीतर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने चरमपंथी तत्वों को विदेश नीति तय करने की खुली छूट दे दी है, जिससे पड़ोसी देशों के साथ दशकों पुराने भरोसेमंद रिश्तों पर बुरा असर पड़ा है। अवामी लीग की नेता ने हाल ही में एक हिंदू युवक की नृशंस हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा देश की सांप्रदायिक सद्भावना को नष्ट कर रही है।
शेख हसीना ने भारत को बांग्लादेश का सबसे पुराना और विश्वसनीय साझेदार बताते हुए विश्वास जताया कि दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक संबंध किसी भी अस्थायी सरकार के कार्यकाल से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जब बांग्लादेश में पुनः कानून का राज स्थापित होगा, तब दोनों देश एक बार फिर उसी समझदारी और सहयोग की ओर लौटेंगे, जिसे उनकी सरकार ने पिछले 15 वर्षों में सींचा था। अपने विरुद्ध चल रहे कानूनी मुकदमों और ट्रिब्यूनल के फैसलों पर उन्होंने कहा कि ये तमाम कार्रवाइयां न्याय के लिए नहीं, बल्कि उन्हें राजनीतिक रूप से समाप्त करने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने शिकायत की कि उन्हें अपना पक्ष रखने या अपनी पसंद का वकील चुनने का उचित अवसर तक नहीं दिया गया।
आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए शेख हसीना ने चेतावनी दी कि अवामी लीग की भागीदारी के बिना होने वाला कोई भी चुनाव लोकतांत्रिक निर्वाचन नहीं, बल्कि केवल एक ताजपोशी बनकर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को जनता ने नौ बार जनादेश दिया है, उसे प्रतिबंधित करने की कोशिश लाखों नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित करने जैसा है। उन्होंने तर्क दिया कि यदि मतदाताओं को उनकी पसंदीदा पार्टी को वोट देने का मौका नहीं मिला, तो वे चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे, जिससे नई सरकार की नैतिक वैधता समाप्त हो जाएगी।
अंत में, अपने प्रत्यर्पण की मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने इसे दिशाहीन प्रशासन की हताशा बताया। शेख हसीना ने कठिन समय में शरण और सम्मान देने के लिए भारत सरकार और वहां के सभी राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपना देश केवल इसलिए छोड़ा ताकि और अधिक निर्दोष लोगों का खून न बहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह न्याय का सामना करने से नहीं डरतीं और उचित समय आने पर वे देश की लोकतांत्रिक बहाली के लिए अपनी भूमिका निभाएंगी।
