प्रियंका गांधी ने बांग्लादेश में हिन्दू युवक की लिंचिंग पर जताई चिंता और बोलीं- भारत सरकार ले संज्ञान

File Photo Priyanka Gandhi
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नई दिल्ली, (ईएमएस)। बांग्लादेश में ईश निंदा के आरोप में एक हिन्दू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने इस घटना को मानवता के खिलाफ अपराध बताया और भारत सरकार से इस पर संज्ञान लेने और आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए कहा, कि बांग्लादेश में हिन्दू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा की गई बर्बरतापूर्ण हत्या का समाचार अत्यंत चिंताजनक और निंदनीय है। उन्होंने कहा, कि किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक समाज में धर्म, जाति या पहचान के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ हिंसा करना और उसकी हत्या करना मानवता के मूल्यों के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं।
कांग्रेस सांसद ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के बीच अल्पसंख्यकों विशेषकर हिन्दू, ईसाई और बौद्ध समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इन घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और कूटनीतिक स्तर पर बांग्लादेश सरकार के समक्ष अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा मजबूती से उठाना चाहिए। प्रियंका गांधी ने जोर देते हुए कहा कि क्षेत्रीय शांति और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि ऐसी घटनाओं पर स्पष्ट और प्रभावी कार्रवाई हो।
क्या है पूरा मामला
जानकारी अनुसार, यह घटना बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले के भालुका इलाके की है। गुरुवार रात भालुका उपजिला के दुबालिया पाड़ा क्षेत्र में धर्म का अपमान करने के आरोप में एक भीड़ ने एक हिन्दू युवक को पकड़ लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई की। बाद में युवक की मौत हो गई। भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर रिपन मिया के अनुसार, हत्या के बाद मृतक के शव को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई।
पुलिस ने मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में की है। घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच जारी है और दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं भारत में भी इस पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
