Wednesday, December 31, 2025

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विचारराज- काज: थरूर की तर्ज पर कांग्रेस को निबटाते दिखे दिग्विजय

राज- काज: थरूर की तर्ज पर कांग्रेस को निबटाते दिखे दिग्विजय

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दिनेश निगम 'त्यागी'

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31 दिसंबर 2025, 11:38 am IST
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अपने पसंदीदा विषय हिंदू-मुस्लिम और आरएसएस-भाजपा पर बोलने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस बार शशि थरूर की तर्ज पर कांग्रेस को निबटाते और सेल्फ गोल करते नजर आए। उनके ताजा दो बयान और दोनों राहुल-प्रियंका की लाइन से हट कर। पहला, उन्होंने बंग्लादेश में हिंदुओं की हत्या को भारत में मुस्लिमों के साथ होने वाले अन्याय से जोड़ दिया, जबकि लोकसभा में प्रियंका गांधी ने बंग्लादेश में हिंदुओं की हत्या पर भाजपा की केंद्र सरकार को घेरा था और कहा था कि भारत को मजबूती से अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए। प्रियंका ने भारत में मुस्लिमों के साथ अन्याय का कोई जिक्र नहीं किया था। दिग्विजय के बयान को लेकर भाजपा ने उनके साथ कांग्रेस पर भी जम कर हमला बोला। दूसरा, लालकृष्ण आडवाणी के पास जमीन पर बैठे नरेंद्र मोदी की फोटो पोस्ट कर एक्स पर लिख दिया कि ‘ मुझे यह चित्र मिला। बहुत ही प्रभावशाली है। किस प्रकार आरएसएस का जमीनी स्वयंसेवक व जनसंघ-भाजपा का कार्यकर्ता नेताओं के चरणों में फर्श पर बैठकर प्रदेश का मुख्यमंत्री व देश का प्रधानमंत्री बना। यह संगठन की शक्ति है। जय सिया राम।’ राहुल गांधी और दिग्विजय खुद आएसएस और भाजपा को पानी पी-पी कर कोसते रहे हैं और अब यह तारीफ। इसे लेकर दिग्विजय अपनी ही पार्टी के निशाने पर आ गए।


शाह ने सिंधिया को ‘राजा साहब’ बोल कर हैरत में डाला

- भाजपा में इस दौर के पॉवरफुल नेता नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी को परिवारवाद और राजा-महाराजाओं को ज्यादा तवज्जो देने वाला नहीं माना जाता। इनकी कार्यशैली और निर्णयों को देख कर देश के लोग यही समझते हैं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी की 101 वीं जयंती पर ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए केंद्रीय मंत्री शाह इस लीक से हटकर रुख अपनाते नजर आए। माना जा रहा था कि कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए ग्वालियर रियासत के ज्योतिरादित्य सिंधिया ‘महाराज’ नहीं रहे, ‘भाई साहब’ हो गए हैं। भाजपा के नेता उन्हें इस नाम से ही बुलाने लगे थे लेकिन शाह ने अपने संबोधन के प्रारंभ में ज्याेतिरािदत्य को ‘राजा साहब’ बोल कर सभी काे हैरत में डाल दिया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने ‘राजा साहब’ कहने पर जम कर तालियां बजाईं। क्या शाह सिंधिया को ‘भाई साहब’ से फिर ‘राजा साहब’ बना गए और संदेश दे गए कि पार्टी के नेता-कार्यकर्ता उन्हें यह कह कर ही संबोधित करें। शाह पहले भी ग्वालियर दौरे के दौरान सिंधिया के महल में जाकर आतिथ्य स्वीकार कर गए थे और संदेश दे गए थे कि भाजपा ने सिंधिया को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है। इसका मतलब यह हुआ की भाजपा नेतृत्व को न परिवारवाद से परहेज है, न ही राजा-रजवाड़ों से, सिंधिया के मसले पर तो यही सच लगता है।


अमित शाह ने ऐसे की मोहन की शिवराज से तुलना

- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101 वीं जयंती पर ग्वालियर में आयोजित ‘अभ्युदय मप्र ग्रोथ समिट’ जितनी मप्र के विकास के लिए सार्थक साबित हुई, उससे कई गुना ज्यादा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व पर मुहर लगा गई। कार्यक्रम में आए भाजपा के ताकतवर नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कारण यह हुआ। उनकी तीन बातों को सूत्र वाक्य मान लिया जाए तो पता चलता है कि डॉ यादव ने दो साल में खुद को स्थापित ही नहीं किया, बल्कि सफलतम मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में शुमार हो गए हैं। शाह ने मोहन की तुलना लगभग 17 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान से की। उन्होंने मोहन को शिवराज से ज्यादा ऊर्जावान मुख्यमंत्री बता कर शिवराज कद छोटा कर दिया। शाह ने यह भी कहा कि शिवराज ने मप्र को बीमारू राज्य से बाहर निकाला जबकि मोहन इसे विकसित प्रदेश बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। शाह ने यह भी कहा कि मोहन ठीक उसी तर्ज पर काम कर रहे हैं, जिस तर्ज पर नरेंद्र मोदी गुजरात का मुख्यमंत्री रहते कर रहे थे। उन्होंने मोहन के ‘रीजनल इन्वेस्टर्स समिट’ काे मादी की मंशा के अनुरूप बताते हुए इसकी जम कर तारीफ की और कहा कि इस कान्सेप्ट को देश के दूसरे राज्यों में भी लागू किया जाएगा। शाह निवेशकों को गारंटी भी दे गए कि मप्र में रुपया लगाइए और करोड़ों कमाईए। शाह का दौरा मोहन को लेकर चलने वाली सभी अटकलों पर भी विराम लगा गया।


खराब चल रही मंत्री प्रतिमा की राजनीतिक ग्रह-दशा

- प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी की राजनीतिक गृह दशा कुछ ज्यादा खराब चल रही है। पहले वे अपने भाई के गांजा तस्करी में पकड़े जाने के कारण मुसीबत में घिरीं और अब एक रील के चक्कर में संगठन- सरकार के कोप का भाजन बन गईं। संभव है कि भाई द्वारा गांजे की तस्करी में शामिल होने की जानकारी प्रतिमा को न रही हो लेकिन इसे लेकर उन्होंने जिस तरह बयानबाजी की, वह संगठन और सरकार को पंसद नहीं आई। लिहाजा, भाजपा प्रदेश मुख्यालय बुला कर उन्हें फटकार लगाई गई। अब नायक फिल्म की तर्ज पर एक सड़क का मुआयना करते रील का जारी होना प्रतिमा पर भारी पड़ गया। उन्होंने सतना जिले के एक मार्ग का निरीक्षण करते हुए अपने पैर से गिट्टी-डामर हटाते हुए गुणवत्ताहीन काम का आरोप लगाया था। जिसका वीडियो वायरल हो गया। इसमें प्रतिमा कहते हुए नजर आई थीं कि ‘डॉ मोहन यादव की सरकार में इस तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’ इस पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव नाराज हो गए। क्योंकि इस मार्ग को लेकर पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका था। उन्होंने प्रतिमा को मिलने के लिए बुलाया और फटकार लगाते हुए कहा कि मंत्री होते हुए विपक्ष की तरह आचरण न करें। प्रतिमा को लगा था, उनकी तारीफ होगी, पर दांव उलटा पड़ गया।


राजनीतिक दबाव से झलकी इस कलेक्टर की पीड़ा

- दतिया के कलेक्टर स्वप्निल बानखेड़े के एक्शन को देख कर लगता है कि वे एक ईमानदार अफसर हैं और राजनेताओं का दबाव पसंद नहीं करते, पर इस दौर में बिना राजनीतिक संरक्षण कोई आईएएस किसी जिले का कलेक्टर रह सकता है, यह संभव नहीं लगता। स्वप्निल के चर्चा में रहने का कारण बना एक पटवारी। जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने पटवारी शैलेंद्र शर्मा पर नेताओं के दबाव में काम करने की शिकायत की थी। इस पर कलेक्टर ने पटवारी को तत्काल निलंबित कर दिया और कहा था कि ऐसे पटवारी नहीं चाहिए जो जनता की बजाय नेताओं के लिए काम करें। इस तरह कलेक्टर ने पटवारी के बहाने नेताओं पर निशाना साध दिया था। निलंबन से नाराज पटवारी संघ के नेता और दर्जनों पटवारी कलेक्ट्रेट पहुंचे। बैठक छोड़कर आए कलेक्टर ने उन्हें जमकर लताड़ लगाई और कहा कि तीन-चार लोग आकर बात कर सकते थे। क्या भीड़ दिखा कर मुझ पर दबाव बनाना चाहते हो? यह राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास सफल नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि मैं कई जिलों में रहा, लेकिन दतिया जैसा माहौल कहीं नहीं देखा, जहां राजनीति इतनी हावी हो। हालांकि इस दौरान वे इमोशनल भी हो गए और कहा कि आप मेरे साथ इस टोन में बात करेंगे, तो नीचे के अधिकारी क्या सोचेंगे? मेरी क्या इज्जत रह जाएगी?

Today In JP Cinema, Chhatarpur (M.P.)