ईरान में महंगाई से परेशान लोग सड़कों पर उतरे, जेन जेड का गुस्सा देख बैकफुट पर आई सरकार

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ईरान में बढ़ती महंगाई और स्थानीय मुद्रा रियाल की ऐतिहासिक गिरावट के खिलाफ शुरू हुआ जन-आक्रोश अब राजधानी तेहरान की सीमाओं को लांघकर देश के अन्य प्रमुख हिस्सों में फैल गया है। लगातार तीसरे दिन भी ईरान के कई महत्वपूर्ण शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हड़ताल की खबरें सामने आई हैं। जो विरोध प्रदर्शन शुरुआत में महज एक कारोबारी असंतोष और दुकानदारों की हड़ताल के रूप में शुरू हुआ था, उसने अब एक व्यापक नागरिक आंदोलन का रूप अख्तियार कर लिया है। इस आंदोलन में अब व्यापारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र और युवा भी शामिल हो गए हैं।
इस विरोध प्रदर्शन की सबसे खास बात जेन जी यानी युवाओं और छात्रों की सक्रिय भागीदारी है। विश्वविद्यालयों के छात्रों ने सड़कों पर उतरकर न केवल आर्थिक बदहाली बल्कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया है। प्रदर्शनों के दौरान तानाशाह को मौत जैसे सख्त नारे लगाए गए, जिन्हें सीधे तौर पर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ माना जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने 1979 की क्रांति में अपदस्थ किए गए शाह मोहम्मद रजा पहलवी के बेटे के समर्थन में शाह जिंदाबाद के नारे भी लगाए। अमेरिका में निर्वासित जीवन जी रहे रजा पहलवी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इन प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है और दावा किया है कि मौजूदा शासन के रहते ईरान की आर्थिक स्थिति में सुधार संभव नहीं है।
आंदोलन के बढ़ते दायरे और जनता के गुस्से को देखते हुए ईरानी सरकार के रुख में कुछ नरमी आती दिख रही है। राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सोमवार देर रात बयान जारी कर कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की स्थिति और उनकी चिंताओं को समझती है। उन्होंने गृह मंत्री को निर्देश दिए हैं कि वे प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों के साथ सीधी बातचीत करें ताकि समस्याओं का कोई जिम्मेदार समाधान निकाला जा सके। आर्थिक मोर्चे पर जनता का विश्वास बहाल करने के लिए राष्ट्रपति ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर मोहम्मदरेजा फर्जीन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उनके स्थान पर पूर्व वित्त मंत्री अब्दुलनासिर हेम्मती को नया गवर्नर नियुक्त किया है।
इस भारी जनाक्रोश की शुरुआत रविवार को तेहरान के ऐतिहासिक ग्रैंड बाजार से हुई थी। वहां के दुकानदारों ने अचानक अपनी दुकानें बंद कर हड़ताल कर दी। व्यापारियों का गुस्सा तब भड़का जब खुले बाजार में ईरानी रियाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। रियाल की इस रिकॉर्ड गिरावट ने आयात और व्यापार को पूरी तरह पंगु बना दिया है। इसके बाद हालात तेजी से बिगड़े और आंदोलन ने तेहरान के बाहर कराज, हमेदान, केश्म, मलार्ड, इस्फहान, केरमनशाह, शिराज और यज़्द जैसे शहरों को अपनी चपेट में ले लिया। सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में देखा जा सकता है कि कई स्थानों पर पुलिस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर रही है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ईरान की इन परिस्थितियों पर नजर रखी जा रही है। अमेरिकी विदेश विभाग ने प्रदर्शनकारियों के साहस की सराहना करते हुए उनका समर्थन किया है। इसके अलावा, फ्लोरिडा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई मुलाकात में भी ईरान का मुद्दा छाया रहा। ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ईरान इस समय भारी महंगाई और चरमराती अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है और वहां के लोग मौजूदा हालातों से बिल्कुल खुश नहीं हैं। फिलहाल ईरान में स्थिति नाजुक बनी हुई है और पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस संकट से कैसे निपटती है।
