क्या हमारी मॉडर्न लाइफस्टाइल ही बढ़ा रही है ड्राई आई का खतरा?

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आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी ने हमारी दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया है। घंटों मोबाइल और लैपटॉप पर काम करना, लगातार एसी में रहना और बढ़ता प्रदूषण—ये तीनों मिलकर आंखों के लिए बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। इन्हीं कारणों से ड्राई आई आज एक सामान्य बीमारी नहीं बल्कि बढ़ती हेल्थ कंसर्न बन चुकी है।
डॉक्टरों का कहना है कि आधुनिक जीवनशैली के कारण आंखों में सूखापन तेज़ी से बढ़ रहा है और बड़ी संख्या में लोग इसके लक्षण झेल रहे हैं।
स्क्रीन टाइम बना सबसे बड़ा कारण
विशेषज्ञ बताते हैं कि मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप को लंबे समय तक घूरने से हमारी ब्लिंकिंग रेट यानी पलकें झपकाने की गति कम हो जाती है। जब पलकें कम झपकती हैं, तो आंसुओं की परत जल्दी सूख जाती है और आंखों में जलन, खुजली और सूखापन महसूस होने लगता है।
ऑफिस का AC भी कर रहा है आंखों पर हमला
अधिकतर ऑफिस बंद कमरे होते हैं जहां लगातार एसी चलता रहता है। एसी की हवा नमी सोख लेती है, जिससे कमरे की हवा सूखी हो जाती है और आंखों का नैचुरल मॉइश्चर भी कम होने लगता है। इससे ड्राईनेस और बढ़ जाती है।
प्रदूषण भी एक बड़ा जिम्मेदार कारक
धूल, धुआं और अन्य प्रदूषक आंखों की सतह को नुकसान पहुंचाते हैं। ये आंसू की परत को अस्थिर बनाते हैं, जिससे आंखें लाल, सूखी और संवेदनशील हो जाती हैं।
इन सभी कारणों के चलते ड्राई आई आज हर उम्र और हर प्रोफेशन के लोगों में तेजी से फैल रही है।
