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भोपाल के बड़े तालाब में तैरने लगे 20 शिकारे — क्या अब मिलेगी मिनी डल झील की फीलिंग?

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भोपाल के बड़े तालाब में बुधवार से 20 शिकारे एक साथ उतार दिए गए। इनका डिज़ाइन कश्मीर की डल झील की तर्ज पर तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हरी झंडी दिखाकर इन्हें लॉन्च किया और खुद शिकारे की सैर भी की। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी मौजूद रहे।
लॉन्चिंग के बाद सीएम ने शिकारा-बोट रेस्टॉरेंट से चाय, पोहा, समोसे और फल लिए और फ्लोटिंग मार्केट से साड़ी व जैकेट खरीदी। कार्यक्रम में बीजेपी के कई नेता मौजूद थे, जबकि कांग्रेस की ओर से केवल नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार पहुंचे। उन्होंने कहा— “अच्छा काम होगा तो सराहना ज़रूर करेंगे।”
किराया, तकनीक, सुविधाएं: क्या भोपाल का टूरिज्म अब नए मोड़ पर?
20 शिकारे ‘फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन (FRP)’ और नॉन-रिएक्टिव मटेरियल से बने हैं, ताकि तालाब की पारिस्थितिकी पर कोई असर न पड़े। प्रत्येक शिकारे में 4–6 लोग बैठ सकते हैं।
4 लोगों के लिए 20 मिनट का किराया — 300 रुपए
6 लोगों के लिए 20 मिनट — 450 रुपए
इनका संचालन MP पर्यटन निगम करेगा। सैर सुबह 9 बजे से सूर्यास्त तक उपलब्ध रहेगी। हर शिकारा लगभग 2.40 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है।
पर्यटकों के लिए बर्ड वॉचिंग, दूरबीन, हैंडीक्राफ्ट खरीदने और फलों–सब्जियों की फ्लोटिंग शॉप भी उपलब्ध रहेगी। मध्य प्रदेश पर्यटन का मानना है कि इससे भोपाल को ‘वॉटर टूरिज्म हब’ के रूप में बड़ी पहचान मिलेगी।
NGT की रोक के बाद शिकारा ही क्यों एकमात्र विकल्प?
करीब 10 महीने पहले NGT ने बड़े तालाब सहित प्रदेश की सभी वॉटर बॉडीज़ में क्रूज और मोटर बोट पर प्रतिबंध लगाया था। कारण — डीज़ल इंजन से निकलने वाला उत्सर्जन पानी को एसिडिक करता है और जलीय जीवों व इंसानों दोनों के लिए हानिकारक है।
इसके चलते ‘लेक प्रिंसेज’ क्रूज़ और ‘जलपरी’ मोटर बोट बंद कर दी गई थीं। तब से तालाब में केवल हाथ से चलने वाली नावें चल रही थीं। शिकारा प्रोजेक्ट उसी गैप को भरने की कोशिश है।
