शरीर के लचीलेपन को बढ़ाता अर्द्धचक्रासन

Meditation
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नई दिल्ली। बदलती जीवनशैली और भागदौड़ भरे दौर में योग का महत्व और भी बढ़ गया है। शरीर को फिट रखने वाले कई उपयोगी योगासनों में से एक है अर्द्धचक्रासन। इस आसन को नियमित रूप से करने से शरीर की लचीलापन बढ़ता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह आसन खासतौर पर रीढ़ की हड्डी को सक्रिय रखने और सही मुद्रा विकसित करने में सहायक माना जाता है। अर्द्धचक्रासन का शाब्दिक अर्थ है ‘आधा चक्र’।
इस आसन के दौरान शरीर पीछे की ओर झुकते हुए आधे पहिये या अर्धचंद्र जैसी आकृति बना लेता है। इसी वजह से इसे अर्द्धचक्रासन कहा जाता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, इस आसन का अभ्यास शरीर की रीढ़ को लचीला बनाता है और लंबे समय तक बैठकर काम करने से होने वाली जकड़न को कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह पेट और जांघों की अतिरिक्त चर्बी घटाने में सहायक होता है और फेफड़ों की क्षमता को बेहतर बनाता है।
गर्दन और पीठ से जुड़ी समस्याओं, खासकर सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस में भी यह आसन लाभकारी माना जाता है। अर्द्धचक्रासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े होना चाहिए। पैरों के बीच थोड़ा अंतर रखें और दोनों हाथों को कमर पर टिका लें। इसके बाद गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से पीछे की ओर झुकें। इस दौरान घुटनों को सीधा रखना जरूरी है और सिर को भी हल्का पीछे की ओर झुकने देना चाहिए।
इस अवस्था में 10 से 15 सेकंड तक रुककर सामान्य रूप से सांस लेते रहें। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं। इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराया जा सकता है। हालांकि, इस योगासन को करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या गंभीर पीठ दर्द से पीड़ित लोगों को यह आसन सावधानी से करना चाहिए या पूरी तरह से परहेज करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह आसन बिना विशेषज्ञ सलाह के उचित नहीं माना जाता। योगाभ्यास शुरू करने से पहले हल्का-फुल्का वार्मअप करना शरीर को तैयार करने में मदद करता है और चोट के खतरे को कम करता है। नियमित और सही तरीके से अर्द्धचक्रासन करने से न सिर्फ शरीर में लचीलापन आता है, बल्कि ऊर्जा स्तर भी बेहतर होता है।
