Thursday, December 4, 2025

LOGO

BREAKING NEWS
विचारराज-काज: सरकार के गले की फांस बना वर्मा का मामला

ADVERTISEMENT

राज-काज: सरकार के गले की फांस बना वर्मा का मामला

Post Media

दिनेश निमग 'त्यागी'

News Logo
Peptech Time
4 दिसंबर 2025, 11:41 am IST
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter/X
Copy Link

Advertisement

दिनेश निगम ‘त्यागी’

अजाक्स के अध्यक्ष आईएएस संतोष वर्मा के एक बयान ने प्रदेश में बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जब तक उनके बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान में न दे, तब तक जाति के आधार पर आरक्षण जारी रहना चाहिए। इस बयान से ब्राह्मण समाज उबल पड़ा। वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी। भाजपा के कद्दावर ब्राह्मण नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि जो संतोष वर्मा 6 माह जेल में रह चुका है, जिसने जज के फर्जी हस्ताक्षर किए हैं, जिसका महिला के साथ दुष्कर्म का रिकार्ड है, उसे पदोन्नति कैसे मिली और आईएएस अवार्ड कैसे हो गया? बवाल बढ़ने पर सरकार ने आईएएस वर्मा को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया। नोटिस में कहा गया कि आपका बयान सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने और आपसी वैमनस्यता फैलाने वाला है। यह अनुशासनहीनता और गंभीर कदाचरण की श्रेणी में आता है। सात दिन में नोटिस का जवाब दें कि क्यों न आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। सवाल है कि क्या सरकार वर्मा के खिलाफ कार्रवाई कर सकेगी? उनका आईएसएस आवार्ड वापस लिया जा सकेगा? आशंका इसलिए है क्योंकि कार्रवाई से दलित वर्ग के नाराज हाेने का खतरा है। लिहाजा, यह मसला सरकार के गले की फांस बन गया है। हालांकि वर्मा ने बयान पर माफी मांगते हुए कहा है कि उनके बयान काे तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। अब तो आदिवासी संगठन जयस ने उनके समर्थन में मोर्चा संभाल लिया है।

हेमंत ने वह कर दिया, जो कोई दिग्गज नहीं कर सका

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की सूझबूझ और रणनीति को दाद देनी होगी। उन्होंने वह कर दिखाया, जिसे अब से पहले भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज नहीं कर सके थे। यह कमाल उन्होंने सागर की राजनीति के दो धुरंधर प्रतिद्वंद्वियों को एक टेबल पर बैठा कर किया। ये हैं मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह। एक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास और दूसरे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह की किचन केबिनेट के सदस्य। दोनों के बीच लंबे समय से छत्तीस का आंकड़ा था। सार्वजनिक तौर पर एक दूसरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। भूपेंद्र का कहना था कि कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद पार्टी के निष्ठावान नेताओं, कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं जबकि गोविंद कहते कि विधायक खुद को पार्टी से बड़ा समझ रहे हैं। दोनों के बीच का विवाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंचा। पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सुलह कराने की कोशिश की, इसके बाद मुख्यमंत्री ने। पर नतीजा रहा सिफर ‘ढाक के तीन पात’ जैसा। कमाल किया हेमंत खंडेलवाल ने। वे सागर के दौरे पर पहुंचे तो भूपेंद्र को गोविंद के घर ले जाकर डिनर करा दिया। इसके बाद गोविंद को लेकर भूपेंद्र के घर पहुंचे और चाय पर लंबी चर्चा करा दी। सवाल यह है कि क्या वास्तव में दोनों के बीच मतभेद दूर हो पाएंगे? यह इतना आसान नहीं। इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।

इस मुद्दे पर सभी गिले शिकवे भुला देते हैं माननीय

मौजूदा राजनीति में पक्ष और विपक्ष के बीच सामान्य शिष्टाचार तक समाप्त होता जा रहा है। विधानसभा के अंदर दोनों पक्षों के माननीय एक दूसरे के खिलाफ सिर्फ तलवारें भांजते नजर आते हैं। ऐसे असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल होता है कि कई बार सदन की मर्यादा और गरिमा तार-तार होती है। माननीय स्पीकर की भी सुनने तैयार नहीं होते। लेकिन जब आर्थिक हित की बात आती है तो गिले शिकवे दूर कर सभी माननीय एक साथ खड़े नजर आते हैं। विधानसभा के 1 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान भी ऐसा नजारा दिखाई देने वाला है, जब ऐसे ही एक मुद्दे पर फिर सभी माननीय एक मत नजर आएंगे। कहीं से विरोध का कोई स्वर नहीं उभरेगा। यह मुद्दा है माननीयों के वेतन-भत्तों में बढ़ोत्तरी का। सत्र के दौरान एक प्रस्ताव के जरिए सरकार विधानसभा सदस्यों के वेतन - भत्तों में 50 से 60 हजार रुपए तक बढ़ाने का प्रस्ताव लाने वाली है। लगभग 10 साल पहले माननीयों के वेतन-भत्ते बढ़ थे । इस बारे में सरकार की कसरत पूरी हो चुकी है। हमेशा की तरह विधानसभा में इस प्रस्ताव के सर्वसम्मति से पारित होने की संभावना है। काॅश! ये माननीय जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर भी इसी तरह एक मत हो जाते। सदन की गरिमा का ख्याल रखते हुए सार्थक बहस करते तो लोकतंत्र का यह मंदिर अपनी साख बरकरार रख पाता।

चौधरी के साथ भी नहीं बैठ रही पटवारी की पटरी....!

- कहा जाने लगा था कि पचमढ़ी के शिविर में आए वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की नसीहत का असर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर पड़ा है और सभी मिल कर भाजपा सरकार के विरोध में खड़े होने लगे हैं। पर जिलों में नियुक्त किए गए संगठन मंत्रियों को लेकर पार्टी की लड़ाई फिर सड़क पर आ गई। अब कहा जाने लगा कि कांग्रेसी कभी नहीं सुधरेंगे। राहुल ने सभी नेताओं को नसीहत दी थी कि एकला चलो की राजनीति नहीं चलेगी। सभी को मिलकर काम करना होगा। इसके बाद जनता से जुड़े मुद्दों को जिस तरह कांग्रेस नेताओं ने मिल कर आक्रामक ढंग से उठाया, उसे देख कर लगा कि राहुल की नसीहित पार्टी के लिए ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित हो रही है। यह स्थिति अधिक समय तक कायम नहीं रह सकी। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्रीय नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं को बिना भरोसा में लिए जिलों में संगठन मंत्रियों की तैनाती शुरू कर दी। इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। पार्टी के जिलाध्यक्षों का कहना था कि जिलों के प्रभारी पहले से थे, अब जिलों में संगठन मंत्री भी बैठा दिए गए। इस तरह तो काम करना ही मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने संगठन मंत्रियों की नियुक्तियां रद्द कर दी। इससे प्रदेश अध्यक्ष पटवारी की खासी किरकिरी हो गई। यह मैसेज भी चला गया कि इनकी तो प्रदेश प्रभारी के साथ ही पटरी नहीं बैठ पा रही है। हालांकि अब संबंधित नेताओं को संगठन महामंत्री बना कर विवाद के समाधान की कोशिश की गई है।

सिंधिया के सामने शाक्य ने उतार दी कलेक्टर की लू

गुना जिले के भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य खरी-खरी कहने और कई बार विवादित बयान देने को लेकर चर्चित रहते हैं। इस बार उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरािदत्य सिंधिया के सामने गुना कलेक्टर की लू उतार दिया। जब शाक्य कार्यक्रम संबोधित कर रहे थे तब मंच पर बैठे कलेक्टर केंद्रीय मंत्री सिंधिया से बात कर रहे थे। अचानक शाक्य उन्हें निशाने पर ले बैठे। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक आदिवासी महिला खाद के लिए दो दिन से कतार में लगी थी और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि कलेक्टर साहब, किसानों को खाद के लिए लंबी लाइन में क्यों लगना पड़ रहा है? आपकी व्यवस्था कैसी है? क्या आप महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) को बदनाम करना चाहते हो? उन्होंने कहा कि जवाब नहीं दिया तो यहीं नहीं, विधानसभा में भी सवाल उठाएंगे। इसके बाद कार्यक्रम में कुछ देर के लिए सन्नाटा खिंच गया। मंच पर बैठे कलेक्टर का चेहरा उतर गया। विधायक ने कहा कि किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है और इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में गलत संदेश देती हैं। शाक्य ने यह भी कहा कि अगर मेरी बात बुरी लगी हो, तो मैं महाराज साहब से क्षमा मांगता हूं, लेकिन साहब से जवाब तो हम ही लेंगे। इस बयान के बाद तो कलेक्टर के ट्रांसफर तक की चर्चा चल पड़ी।

Today In JP Cinema, Chhatarpur (M.P.)