क्या ATS बनकर की गई ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का ये सबसे बड़ा मामला?

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मध्यप्रदेश बिजली विभाग के 72 वर्षीय रिटायर्ड एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर अविनाश चंद्र दीवान साइबर ठगों के ऐसे जाल में फंस गए, जिसने उन्हें 5 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। ठग खुद को ATS अधिकारी बताकर उन्हें टेरर फंडिंग का डर दिखाते रहे और इसी धमकी में बुजुर्ग से 32 लाख (10+8+7+अन्य ट्रांजैक्शन) निकलवा लिए।
ठगी की शुरुआत 1 दिसंबर को आए एक फोन कॉल से हुई।
कॉल पर बोला गया—अफजल नाम का आतंकी पकड़ा है, उसने आपका नाम लिया है… आपके अकाउंट से टेरर फंडिंग हुई है…
डर के माहौल में बुजुर्ग ठगों के हर निर्देश का पालन करते गए।
10 घंटे रोज वीडियो कॉल पर ‘डिजिटल अरेस्ट’
ठग पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल पर आते थे।
सुबह 9 बजे से रात 7 बजे तक, वे लगातार बुजुर्ग की गतिविधियों पर नजर रखते।
वे क्या कर रहे हैं, किससे बात कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं—सब नियंत्रित।
यही नहीं, वे वीडियो कॉल ऑन रखते हुए बुजुर्ग को बैंक तक ले गए, फॉर्म भरवाए और अपने अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करवा लिया।
डर, धमकी और झूठी कानूनी भाषा
ठगों ने कहा—
अगर सच नहीं बताया या साथ नहीं दिया तो 18 साल की सजा और 5 लाख जुर्माना होगा।
तुम्हारे बेटे भी गिरफ्तार होंगे, और सारी संपत्ति सीज कर देंगे।
इस डर के कारण बुजुर्ग ने किसी से कुछ नहीं कहा।
32 लाख लेने के बाद दिया झूठा भरोसा
पैसा ट्रांसफर हो जाने के बाद ठगों ने वादा किया कि—
5–6 दिन में RBI और Ministry of Defence से आपका पैसा वापस मिल जाएगा।
इसके लिए उन्होंने नकली ‘सर्टिफिकेट’ और ‘ऑफिशियल लेटर’ भी भेजे।
बेटे ने समझा कुछ गलत है—सच्चाई सामने आई
5 दिसंबर की रात बुजुर्ग काफी परेशान दिखे।
परिवार के दबाव देने पर उन्होंने पूरी घटना बताई।
आनन-फानन में बेटा उन्हें लेकर जबलपुर साइबर ऑफिस पहुंचा।
पुलिस के सामने ठग का फोन—‘हमने पैसा ले लिया, आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते’
शिकायत दर्ज करते समय ठग ने उसी समय कॉल किया और साफ कहा—
“हां, हमने पैसे लिए हैं…अब आप हमारा कुछ नहीं कर सकते।
बस अपने पिता का ध्यान रखिए।”
यह सुनकर पुलिस भी चौंक गई।
मदनमहल थाना पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।
पुलिस की अपील — किसी भी ‘ATS/CBI/Cyber Cell’ कॉल पर तुरंत थाने जाएं
एएसपी जितेंद्र सिंह ने कहा—
बुजुर्ग सबसे ज्यादा निशाना बनाए जा रहे हैं।
डराकर डिजिटल अरेस्ट करना नई तकनीक है।
कोई भी पुलिस, ATS या सरकारी अधिकारी फोन पर कार्रवाई नहीं करता।
ऐसा कोई कॉल आए तो सीधे नजदीकी थाने में जाकर जानकारी दें।
