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30 घंटे की हिरासत… पूछताछ या दबाव? हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछे बड़े सवाल

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इंदौर में नाबालिग से रेप के आरोपी रियल एस्टेट कारोबारी संजय दुबे के मामले में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पुलिस ने संजय दुबे को न पाकर उनके बेटे राजा दुबे (32) को पकड़ लिया और उसे लगातार 30 घंटे तक थाने में बैठाए रखा, यहां तक कि हथकड़ी भी लगा दी। यह कार्रवाई कानून के खिलाफ मानी गई, क्योंकि किसी भी व्यक्ति को सिर्फ पूछताछ के लिए इतने लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता और न ही हथकड़ी लगाई जा सकती है, जब तक वह गंभीर अपराधी न हो या फरार होने की आशंका न हो। इस अवैधानिक हिरासत के खिलाफ परिवार ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर फोटो और वीडियो भी पेश किए। कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बताया और सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा—“हथकड़ी लगाई ही थी, बेड़ियां भी पहना देते।” कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को टीआई इंद्रमणि पटेल और शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने और आपराधिक मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। साथ ही दो हफ्तों में रिपोर्ट पेश करने को कहा। मामला तब और गंभीर हो गया जब सीसीटीवी फुटेज मांगने पर टीआई ने पहले तकनीकी दिक्कत बताई, लेकिन बाद में फुटेज पेन ड्राइव में दिया गया। कोर्ट ने एक बार फिर पूछा कि पूछताछ के नाम पर किसी युवक को 30 घंटे तक कैसे रोका जा सकता है। हाईकोर्ट में सुनवाई की भनक लगते ही पुलिस ने युवक को छोड़ दिया था, जिससे पुलिस की मंशा पर और सवाल उठे हैं।
