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अमेरिका के बहिष्कार के बावजूद G-20 घोषणा पत्र तैयार, जलवायु एजेंडा शामिल

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दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जारी G-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका के पूर्ण बहिष्कार के बावजूद अन्य सदस्य देशों ने अंतिम घोषणा पत्र का मसौदा तैयार कर लिया है। अमेरिका ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि बिना उसकी भागीदारी के घोषणा पत्र तैयार करना "शर्मनाक" कदम है।
राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा की कोशिश है कि अफ्रीकी महाद्वीप पर हो रहा पहला G-20 समिट बहुपक्षीय कूटनीति की बड़ी सफलता साबित हो, हालांकि अमेरिकी अनुपस्थिति इसे चुनौतीपूर्ण बना रही है। वहीं कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की गैर-मौजूदगी ने अन्य देशों को जलवायु परिवर्तन और विकासशील देशों को सहायता जैसे मुद्दों पर अधिक खुलकर सहमति बनाने का अवसर दिया है।
सूत्रों के अनुसार ड्राफ्ट घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से "जलवायु परिवर्तन" शब्द शामिल किया गया है, जिसकी अमेरिका विरोध कर रहा था। ड्राफ्ट में दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव—जैसे स्वच्छ ऊर्जा, कर्ज राहत और जलवायु आपदाओं से निपटने में विकासशील देशों की मदद—को प्रमुख एजेंडा बनाया गया है।
ट्रम्प बोले—जलवायु परिवर्तन “धोखा”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन को "धोखा" करार देते हुए ब्राजील में हुए COP-30 सम्मेलन में कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा। साथ ही उन्होंने विकासशील देशों की जलवायु सहायता योजनाओं को भी खारिज कर दिया। अमेरिका के इस रुख ने G-20 में तनाव बढ़ा दिया है।
G-20 का महत्व
1999 में बने G-20 में शामिल देश—
विश्व GDP का 85%
वैश्विक व्यापार का 75%
विश्व की 2/3 आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं
2008 के वित्तीय संकट के बाद इसे हेड ऑफ स्टेट लेवल का समिट बनाया गया।
