सागर के असद खान बनारस जाकर बने अथर्व त्यागी...!

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सागर। मध्यप्रदेश के सागर जिले से धर्म और आस्था से जुड़ी एक अहम और चर्चित खबर सामने आई है। सागर के मकरोनिया क्षेत्र में रहने वाले असद खान ने इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन धर्म को अपनाया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के धार्मिक नगरी बनारस (वाराणसी) पहुंचकर पूरे वैदिक विधि-विधान के साथ हिंदू धर्म में घर वापसी की। धर्म परिवर्तन के बाद असद खान अब अथर्व त्यागी के नाम से जाने जाएंगे।
असद खान ने वाराणसी के प्रसिद्ध अस्सी घाट पर पंडित-पुजारियों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सनातन धर्म स्वीकार किया। इस दौरान सबसे पहले पंचगव्य स्नान कराया गया, इसके बाद विधिवत गंगा स्नान कर उनका पवित्रीकरण किया गया। धार्मिक परंपराओं के अनुसार उनका मुंडन संस्कार कराया गया, फिर हवन-पूजन संपन्न हुआ।
इसके पश्चात असद उर्फ अथर्व ने काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया। शाम के समय वे गंगा आरती में शामिल हुए। पूरे विधि-विधान के बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जहां वैदिक रीति से उनकी घर वापसी पूर्ण कराई गई।
धर्म परिवर्तन के बाद अथर्व त्यागी ने अपने फैसले को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से इस्लाम धर्म में मौजूद कुछ कुरीतियों और धार्मिक बंधनों से मानसिक रूप से असहज महसूस कर रहे थे।मूर्ति पूजा का विरोध, मांस-मछली के सेवन को लेकर जबरन आचरण और कई धार्मिक प्रतिबंधों के कारण उन्हें आत्मिक शांति नहीं मिल पा रही थी।
अथर्व त्यागी का कहना है कि उन्हें बचपन से ही भगवान महाकाल में गहरी आस्था रही है, लेकिन पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण वे कभी अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर सके। मूर्ति पूजा करने से रोका जाता था, जिससे उन्हें अंदर ही अंदर पीड़ा होती थी। उन्होंने कहा, अब मुझे आत्मिक शांति मिली है। यह फैसला मैंने किसी दबाव में नहीं, बल्कि अपनी पूरी इच्छा और आस्था के साथ लिया है।
बनारस पहुंचकर गंगा स्नान और वैदिक अनुष्ठानों के बाद उन्होंने पूरी श्रद्धा से सनातन धर्म को स्वीकार किया। धर्म परिवर्तन के साथ उन्होंने अपना नया नाम अथर्व त्यागी रखा, जिसे वे अपनी नई पहचान और जीवन की नई शुरुआत मानते हैं। सागर से बनारस तक आस्था और विश्वास का यह सफर अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। अथर्व त्यागी का कहना है कि यह निर्णय उनके आत्मविश्वास, आस्था और अंतर्मन की आवाज का परिणाम है, जिसे वे जीवनभर सम्मान के साथ निभाएंगे।
