बांस का बल्ला: उज्जैन के किसान का नवाचार बदल सकता है क्रिकेट का खेल

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उज्जैन जिले की तराना तहसील के रहने वाले घनश्याम पाटीदार ने क्रिकेट की दुनिया में एक अनोखा प्रयोग कर सबका ध्यान खींचा है। उन्होंने बांस से क्रिकेट बैट तैयार किया है, जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि पारंपरिक लकड़ी के बल्लों का विकल्प भी बन सकता है। घनश्याम का कहना है कि बांस हल्का, मजबूत और टिकाऊ होता है, इसलिए उन्होंने स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से यह नवाचार किया।
इस बांस के बैट का इस्तेमाल उनके बेटे परीक्षित पाटीदार नेट प्रैक्टिस में कर रहे हैं। परीक्षित के मुताबिक यह बल्ला इंग्लिश या कश्मीर विलो के बल्ले की तरह ही प्रभावी है, बल्कि अतिरिक्त उछाल के कारण इसमें ज्यादा ताकत भी मिलती है। उन्होंने बताया कि इससे शॉट खेलना आसान होता है और गेंद आसानी से बाउंड्री पार चली जाती है। साथ ही यह बल्ला किफायती होने के साथ मरम्मत योग्य भी है।
घनश्याम पाटीदार ने बैट की मजबूती और संतुलन बनाए रखने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल किया है और इसके पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है। उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले तो वे इस बांस के बैट को बड़े स्तर पर तैयार कर सकते हैं। खासतौर पर टी-20 जैसे तेज़ फॉर्मेट में यह नवाचार बल्लेबाजों के खेलने के अंदाज को बदल सकता है।
