हनुमान जी को ‘भगवान’ क्यों नहीं कहा जाता? क्या है इसका असली कारण?

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हनुमान जी शक्ति, भक्ति और साहस के देवता हैं। रुद्रावतार होने के कारण वे दिव्य रूप में पूजे जाते हैं, लेकिन फिर भी आमतौर पर उनके नाम के आगे ‘भगवान’ नहीं लगाया जाता। इसके पीछे एक प्रमुख आध्यात्मिक कारण है—उनका दास्य भाव, यानी श्रीराम के प्रति पूर्ण समर्पण।
1. हनुमान जी खुद को हमेशा “रामदास” कहते थे
वे खुद को ईश्वर का सेवक मानते थे, देवता नहीं। उनका पूरा जीवन सेवा, विनम्रता और भक्ति में बीता।
2. उन्होंने कभी ईश्वर के समान दर्जा नहीं चाहा
रामायण में हर जगह उन्होंने शक्ति का उपयोग केवल श्रीराम की सेवा के लिए किया, अपनी महिमा के लिए नहीं।
3. इसलिए समाज में उनके नाम से पहले “बजरंगबली”, “संकटमोचन”, “महावीर” जैसे संबोधन प्रचलित हुए
यह उनके भक्त रूप, विनम्रता और समर्पण का सम्मान है।
निष्कर्ष:
हनुमान जी भगवान कहलाने से बड़े हैं—क्योंकि वे भक्ति के आदर्श हैं। उनकी महानता उनके “सेवक भाव” में ही चमकती है।
